माह -ए-रमजान तमाम महीनों मे अफजल है ।इसकी वजह यह है कि इसी महीने में एक रात जिसे लैलतुल कदर कहते हौ में कुरानशरीफ का नुजूल हुआ हौ ।यह महीना अल्लाह तबायको तअला को इतना पसंद है कि इसके 1 दिन के सवाब बंदे को 70 गुना बढ़ा दिया जाता है । रमजान के मुबारक महीने में तिलावत तमाम दिनों की तिलावत उसे बेहतर है खुदा अपने बंदे को इबादत का सवाब सत्तर गुना बढा कर देता हौ । रमजान में हर रोज गुनहगारों को दोजक से आजाद किया जाता है। इस महीने में जन्नत उल फिरदोस के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। अल्लाह अपने बंदे पर इस पाक महीने में बेइतहा रहमते बरसाता है ।अभी रमजान उल मुबारक के महीने का पहला अशर चल रहा है इस अशर मे रहमते कि बारिश होती है ।हर किसी को चाहिए कि वह पाबदी के साथ रोजा नमाज और कुरानशरीफ की तिलावत करो। खुदा की रहमत से मालामाल हो जाए खुदा के नबी मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम रमजानुल उल मुबारक को गरीबी यतिम के साथ हमददी का महीना कहां है। रसूल सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया कि किसी के पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है तो उसका भी बंदोबस्त करो । बढ़-चढ़कर गरीबों का मदद करो जकात की असल रूह यही हौ कि समाज में गरीब को भी बेहतर तरीके से जीने का हक मिले । रमजान के महीने में रोजेदार को इफ्तार कराने का सवाब बेइंतहा है ।खुदा सबको सवाब कमाने का मुस्तहिक बनाए